आख़िरकार काँग्रेस के कार्यकर्ताओं और विभिन्न पदाधिकारियों की मेहनत रंग लायी और वे अपने यूपी काँग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू को जेल से रिहा कराने में लम्बे संघर्ष के बाद कामयाब हुए.
अपनी रिहाई पर अजय लल्लू ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि- “आज के दौर में राजनीति में एफआईआर इनाम होता है और जेल दूसरा घर हालाँकि सच्चाई के लिए संघर्ष करने पर वे जेल जाने से नहीं डरते हैं.”
संघर्ष के कोख से पैदा हुआ हूँ, राहुल गांधी का सिपाही हूँ। मुकदमे राजनीति में इनाम होते हैं और जेल अस्थाई घर होता है। अजय लल्लू न डरा है न डरेगा।
मुख्यमंत्री डरे हुए हैं,भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी है सरकार।
इन्हें शोषितों-मजदूरों से कोई सरोकार नहीं। pic.twitter.com/G2AdqyhbJh
— Ajay Kumar Lallu (@AjayLalluINC) June 17, 2020
आपको यहाँ बताते चलें कि कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए देश में 25 मार्च को लॉकडाउन घोषित हुआ था, इसके कारण जब परिवहन वयवस्था को प्रतिबंधित कर दिया गया तो अनेक कामगार और श्रमिक पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े.
ऐसे में अनेक लोग भूख, प्यास और थकावट की वजह से मृत्यु के भी शिकार हुए. इस परिस्थति में कांग्रेस ने एक हजार बसों का इंतजाम इन कामगारों को लाने के लिए उत्तर प्रदेश की सीमा पर भेजा था.
यद्यपि योगी सरकार ने यह कहकर इन बसों को लेने से मना कर दिया कि इसमें टेम्पो और बाइक का नंबर है बसें नहीं हैं. साथ ही कांग्रेस के नेता अजय लल्लू पर धोखाधड़ी का केस लगाकर जेल में भेज दिया.
अपनी गिरफ़्तारी के संबंध में अजय लल्लू ने बताया कि-योगी सरकार ने मेरे साथ बदले की मंशा से कार्यवाही किया है मेरी गलती इतनी थी कि मै कांग्रेस का सिपाही हूँ तथा मैंने ही बसों को भेजने का ‘प्रस्ताव’ दिया था.
यदि ऐसा नहीं होता तो उच्च न्यायालय जमानत देते हुए कभी नहीं कहता कि इस मामले को तो ट्रायल कोर्ट में ही सुलझा लेना चाहिए था.