लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में मछुवा समाज के लोगों के प्रति हो रहे भेदभाव को लेकर अनेक पहलुओं पर अपने विचार रखे. इस दौरान निषाद पार्टी ने कहा कि-
“जिस प्रकार देश में किसान आंदोलन चल रहा है ठीक उसी प्रकार उत्तरप्रदेश का मछुआरा समुदाय निषाद पार्टी के बैनर तले लामबंद हो रहा है.
केंद्र और प्रदेश की सरकार अगर मछुआरों को आरक्षण देने का वादा नहीं निभाती है तो किसान आंदोलन से बड़ा आंदोलन मछुआ समुदाय का होगा.
इस महान हस्ती को दिल से नमन जिसने गौरवशाली
इतिहास बताकर एवं गोत्रों के आधार पर फैले समस्त वंचित समाज को एक माला के रूप में पिरोने का अदभुत कार्य किया है |#जय_निषादराज #निषाद_पार्टी_जिन्दाबाद #महामना_डॉ_संजय_कुमार_निषाद_जी_जिन्दाबाद #nishad_party_saharanpur#nishadnamo pic.twitter.com/4biFIjhuVN— Nishad Party Saharanpur (@nishad_party) March 4, 2021
हम भाजपा के सहयोगी दल हैं परंतु भाजपा ने अभी तक मछुआ समाज का आरक्षण पर किसी भी स्टैंड पर पहुंचती नहीं दिख रही है जिसके चलते मछुआ समाज में भाजपा को लेकर आक्रोश भी दिख रहा है.
जिस प्रकार बसपा ने मछुआरों के हक पर डाका डालने का काम किया तो निषाद समाज ने बसपा का बटन छूना बंद कर दिया और आज बसपा की हालत क्या है ये सभी को पता है.
सपा-कांग्रेस ने मछुआरों को उनका हक नही दिया तो उनके बटन को दरकिनार कर आज सपा-कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम मछुआ समाज ने किया.
ठीक उसी प्रकार अगर भाजपा भी वादा खिलाफी करती है तो भाजपा का भी बटन छूना बंद कर देगा मछुआ समाज. कांग्रेस आज मछुआरों की हितैषी बन रही है,
परंतु कांग्रेस ने देश में 70 साल राज किया और अगर मछुआ समाज के हक के लिए काम किया होता तो आज मछुआ समाज की हालत ये नहीं होती.
कांग्रेस शासन काल में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा के द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ षडयंत्र रचकर फाइल गायब कराईं गई है
ताकि अतिपिछड़ी जातियों का अनुसूचित जाति का प्रकरण बाधित किया जा सके. इसलिए संसद मार्ग दिल्ली के थाने में 03/06/2019 को मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा और उनके अधीनस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.
डॉ संजय ने अलीगढ़ के टप्पल में पूर्व मुख्यमंत्री मा. अखिलेश यादव द्वारा सूबे की सरकार पर निशाना साधने पर कहा कि अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश की छवि देश-विदेश में खराब करने का काम कर रहे हैं.
अखिलेश यादव जी को अपने शासन काल में हुई घटनाओं पर भी एक बार विचार करना चाहिए. जब वो सत्ता में थे तो महिलाओ के प्रति अपराध में लगातार बढ़ोत्तरी हुई थी.
मैं पुछना चाहता हूं अखिलेश जी कि जब विधानसभा हंडिया, जिला प्रयागराज में उनकी घर्मपत्नी से छेड़खानी हुई थी तो उत्तरप्रदेश में किसकी सरकार थी.
जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी ही उनके शासन काल में सुरक्षित नहीं थी तो प्रदेश के हालत कैसे होंगे? इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं.
इसलिए मेरी अखिलेश यादव जी को सलाह है एक बार ब्यानबाजी करने से पहले अपने शासनकाल में जरूर देखे कि महिलाओं की दशा क्या थी?
मछुआरों को आरक्षण जन्मसिद्ध अधिकार है, हम कोई भीख नहीं मांग रहे हैं, संविधान में मिला हुआ हमारा हक मांग रहे हैं. संविधान में लिखा हुआ मझवार, गोड, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली हम 7 नामों से सूचीबद्ध हैं.
हमारे उप जातियों का नाम पिछड़ी में डालकर विश्वासघात किया गया, हमारे जमीनों पर डाका डाला जा रहा है. आज चमार भाई की जमीन कोई नहीं क्रय कर सकता, उसे अनुसूचित जाति आयोग से सुरक्षित किया गया है.
उसी तरह हमारी भी जमीन कोई नहीं ले सकता है, हम भी अनुसूचित जाति में है, सुरक्षित हैं लेकिन हमारा उप जातियों को पिछड़ी जाति में डालकर अन्याय किया गया.
जो भी सरकारे सत्ता में रही हैं उनसे समाज लड़ता रहा. जो समाज सत्ता में आया वह अपनी लड़ाई लड़ाकर अपना आरक्षण पाया है.
हाथी के बाद दलितों का साइकिल के बाद यादवों का, कमल के बाद सवर्णों का, निषाद पार्टी से मछुआरों का आरक्षण अवश्य मिलेगा.