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आज हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, भाजपा जगह-जगह विकास का ढिंढोरा पीट रही है. देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है,

किंतु इतने उपलब्धियां के बावजूद जब वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग की बात कही जाती है तो वह अत्यंत ही चिंताजनक तस्वीर पेश करता है. 

जी हां, वर्ष 2023 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में भारत के रैंकिंग और खराब हो गई है. अब इंडिया 125 देशों की सूची में 111 वें स्थान पर पहुंच चुका है.

यह पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट दर्शाता है क्योंकि पहले भारत की स्थिति 107वें स्थान पर थी.  फिलहाल भारतीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर असहमति जताई है.

आपको बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (G.H.I) 3 स्तरों-वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पर प्रसारित किया जाता है. रेटिंग की गणना के लिए कुल 100 अंक आवंटित किए जाते हैं.

जिसमें कम स्कोर वाले देश को अच्छी स्थिति बताई जाती है. भारत इस सूचकांक में कई वर्षों से लगातार पिछड़ता हुआ चला जा रहा है. 

2022 में भारत 107 वें स्थान पर था, 2021 में 101 वां स्थान जबकि आज 2023 में 111वें स्थान पर है. जहां तक इस गिरावट का विषय है,

इसके बारे में जानकारी का कहना है कि भारत में महिलाओं को बड़ा हिस्सा एनीमिया से पीड़ित हैं.  यह खून की कमी को दर्शाता है. 

G.H.I की रिपोर्ट में इस समस्या को बार-बार दिखाया गया है 15 से 24 वर्ष की लड़कियों में एनीमिया की दर 58.1 प्रतिशत है.

इसका सीधा प्रभाव नवजात शिशुओं पर पड़ता है क्योंकि एक कमजोर मां एक कुपोषित बच्चों को जन्म देती है. इसके अतिरिक्त मां की उम्र कम है

तो भी वह किशोरावस्था के दौरान जो बच्चों को जन्म देगी, उनके वजन में हमेशा कमी होने की संभावना रहती है.

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