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कुशीनगर: तमकुहीराज हल्के में अरसे से लेखपाल रहे अशोक वर्मा ने काफी समय तक तमकुहीराज हल्के के लेखपाल का प्रभार अपने पास रखा है तथा मौका मिलने पर जमकर हेराफेरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है.

महज खानापूर्ति के उद्देश्य से यह लेखपाल अपना स्थानांतरण कराकर पडरौना गया और मात्र कुछ दिनों बाद ही वापस आकर पुनः तमकुहीराज हल्के का ही प्रभार ले लिया.

आखिरकार अधिकारी यह बताने से कतरा रहे हैं कि वह क्यों बार-बार एक ही लेखपाल को तमकुहीराज का प्रभार सौपते रहते हैं.

पद भले लेखपाल का है लेकिन ठाठबाट तो अधिकारी की तरह हैं. लेखपाल को कितना वेतन मिलता है यह किसी से छिपा नही है.

लेकिन सीमित आमदनी में चमचमाती स्कार्पियो से लेखपाल साहब का चलना सीधे तौर पर आय से अधिक संपत्ति का मामला है, जिसकी जांच कराए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है.

जितना वेतन मिलता है उसका अधिकांश हिस्सा तो स्कार्पियो के चालक और उसके मेंटेनेंस में चला जाता है, फिर घर खर्चा कैसे चलता है.?

उनकी आमदनी का जरिया क्या है यह जांच का विषय है. लेखपाल रहते अकूत सम्पत्ति अर्जित करने का प्रत्यक्ष प्रमाण तमकुहीराज तहसील और क्षेत्राधिकारी

कार्यालय के सामने उनके पत्नी के नाम से खरीदी गई जमीन और उसमें बन रहा मकान है. वर्ष 2020 में अपनी पत्नी सुनीता के नाम से उक्त लेखपाल ने

गाटा संख्या 384 मि में 0.016 हे जमीन बैनामा लिया गया है और शायद लोन लेकर अब उसमें मकान बनाया जा रहा है.

अगर सही ढंग से जांच हो तो बहुत सारी जमीन उक्त लेखपाल द्वारा अपने परिजनों के नाम से खरीदने का मामला प्रकाश में आ जाएगा.

अगले अंक में पढ़ें:

हरिहरपुर में फर्जीवाड़ा करके जमीन बैनामा कराने के मामले दर्ज हुआ था उक्त लेखपाल पर मुकदमा

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